संदेश

मई 17, 2009 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं
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क्या कहता है जनाधार ? तो क्या अब ये मान लिया जाए कि भारतीय वोटर जागरूक हो चुका है वो समझने लगा है कि किसे जीतना चाहिए और किसे हारना? दो तीन बातें तो 15वीं लोक सभा चुनाव के नतीजों से तो साफ हो चुका है।भारतीय वोटरों की मन:स्थिति, अब कोड़े भाषणों से परिवर्तित नहीं होने वाला,काम भी करके दिखाना होगा। मनमोहन तो भाषण नहीं करते और ना ही वो किसी लोक सभा सीट से आते हैं फिर भी जनाधार ने उनके नेतृत्व को पसंद किया।जिस तरह से 1991 के वित्तीय संकट से मनमोहन ने देश को उबारा था, वो ऋण भी भारतीय जनता ने इस बार उतार दिया।जनाधार ने उनपर भरोसा जताया है। वोटरों को रिझाना अब आसान नहीं इस बार के रिजल्ट ने उन नेताओं को ये संदेश दे दिया है कि सिर्फ दिल्ली में स्थित सुविधा-संपन्न बंगले में रहने से काम नहीं चलेगा। या फिर सिर्फ वोट के वक्त वोटरों को याद करना महंगा पड़ सकता है। आकर आपको वोटरों और अपनी जनता को याद करते रहना होगा अगर आपने ऐसा नहीं किया तो लाज़मी है कि आप अगली बार इन सुविधा-संपन्न बंगले के हकदार नहीं होंगे।सिर्फ कड़ी धूप में चुनाव के वक्त घूम लेने और चिकनी चुपड़ी बातें कर लेने से वोटरों को अपने पक